Sandeep Raika Jhunjhunu Sandeep Raika Jhunjhunu Author
Title: रबारी समाज सेवा संस्थान का परिचय
Author: Sandeep Raika Jhunjhunu
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संस्थान का परिचय एक नजर में  अखिल भारतीय रबारी (राईका) समाज सेवा संस्थान की स्थापना दिनांक 2 अप्रेल 1996 में देवासी न्याति नोहरा राईक...

संस्थान का परिचय एक नजर में 

अखिल भारतीय रबारी (राईका) समाज सेवा संस्थान की स्थापना

www.abrsss.blogspot.comदिनांक 2 अप्रेल 1996 में देवासी न्याति नोहरा राईका बाग जोधपुर में परम पूज्य महंत श्री कृष्णनाथ जी महाराज (शिवमंदिर रामगढ़, सिरसा हरियाणा),  परम पूज्य महंत रामरघुनाथ जी महाराज (राम मंदिर-पुष्कर), परम पूज्य महंत श्री भगवानदास जी महाराज (पुष्कर) की शुभ निश्रा में अखिल भारतीय रबारी राईका देवासी समाज का महासम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें संपूर्ण भारतवर्ष से अलग-अलग प्रान्तों के जन प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। जिसमे हरियाणा, पंजाब, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश आदि प्रान्तों के हजारों समाज बंधु उपस्थित हुए।
जिनमें जोधपुर से भोपाल जी गागंल खाराबेरा, धन जी ठेकेदार भोपालगढ, आतम जी नागौर, हाथीराम जी बार कोसाना, सवाराम जी रोज पोषाणा,  कुपा जी पादरा, खेमराज देसाई, वागा जी आल सिनला पाली, जोरा जी आजाणा मांडावास पाली, जगाजी टवाना जेतपुरा, पोखर जी राबङियावास, गंगाराम जी झुपेलाव, रावता जी गांगल मीरपुर सिरोही, लाखा जी चणकारा मेवाङ, बिहारी जी बार भिरड़ाना, अर्जुन जी, बलबीर जी हरियाणा, शयोचंद जी गंगानगर, धुङ जी बिकानेर, बेचरा जी सांबङ वगता जी लूणी पादरङी बाङमेर, सुलतानसिह जी जैसलमेर, रायसिहजी आल पंजाब, गोविंदभाई देसाई गुजरात, वसंताजी बधेल उत्तरप्रदेश , पोखर जी डिग भरतपुर आदि हजारों की संख्या मे समाज बंधु उपस्थित थे। 

परम पूज्य श्री कृष्णनाथ जी महाराज ने हरिद्वार में रबारी, राईका, देवासी समाज की आवास निवास की मुख्य समस्या का वर्णन करते हुए धर्मशाला निर्माण की आवश्यकता और उपयोगिता पर प्रकाश डाला और उसकी संक्षिप्त रूप-रेखा उपस्थित जन-समूह के समक्ष रखी तथा उन्होंने समाज बंधुओं से ट्रस्ट से निर्माण का अनुमोदन करने की मार्मिक अपील की। तप्तपश्चात इस हेतु अखिल भारतीय स्तर कमेटी के गठन पर विचार-विमर्श किया गया।
जिसमें अखिल भारतीय राईका महासभा के बारे में चर्चा की गयी लेकिन उक्त संगठन की निष्क्रियता एवं पंजीकार की आवश्यकता देखते हुए श्री अनोपपाल जी गागंल वेध डूंगरपुर जिन्होंने अखिल भारतीय राईका महासभा का संविधान तैयार किया एवं उक्त संस्थान के महामंत्री बने। उन्होंने बताया कि रायका महासभा का पंजीकरण नवीनीकरण के आभाव में खत्म हो चूका है और इसे नविन संस्था अखिल भारतीय रबारी (राईका) समाज सेवा संस्थान में विलय कर दिया गया है मतलब उक्त नाम से संस्था का गठन कर दिया गया है। सब और से करतल ध्वनि द्वारा ट्रस्ट निर्माण का अनुमोदन किया गया। परम पूज्य महंत श्री कृष्णनाथ जी ने अखिल भारतीय रबारी (राईका) समाज सेवा संस्थान के निर्माण की विधिवत घोषणा की और उसके स्थायी कोष (पूंजी) के निर्माण में उपस्थित जन-समूह से आर्थिक योगदान का साग्रह निवेदन किया। साथ ही महतं जी ने एक महेन्द्रा कंपनी की जीप कोष जुटाने के लिए कमेटी को उपलब्ध करवाई।  
समाज सेवकों के अथक प्रयासों से राजस्थान एवं हरियाणा में निवास करने वाले रबारी समाज बंधुओ से सर्वप्रथम दान राशि 25 लाख 50 हजार रूपये एकत्रित किये गए। जिसमें हरिद्वार यात्रियों के ठहरने के लिए भवन खरीदा गया तथा उसकी रजिस्ट्री पर एवं अन्य खर्चे हुए। राईका धर्मशाला के पुनः जीर्णोद्वार एवं सुविधाओं को बढ़ाने हेतु गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक व आंध्रप्रदेश में निवासी व प्रवासी समाज बंधुओं से दानराशि इक्कठा की गयी। इनके अलावा समाज के कई अन्य सम्माननीय अग्रणीय सज्जनों ने भी सहयोग राशि दी। आगे के वर्षों में ट्रस्ट संरक्षक श्री कृष्णनाथ जी महाराज एवं अध्यक्ष श्री खेमराज जी देसाई के नेतृत्व में संस्थान का सदस्य अभियान ( दान-संग्रह-कार्य) सतत चल रहा है। अभी तक इस संस्थान में अलग-अलग प्रांतो से कुल 23 सदस्यों की कार्यकारिणी है। 
आगे के वर्षों में स्थायी कोष में धीरे-धीरे वृद्धि होती रही है। दानराशि देने वाले सभी महानुभावो के नाम एवं पता धर्मशाला के रजिस्टर में अंकित है। तथा इन सत्रह सालो में लगभग एक करोड़ के अन्य खर्चे हुए है।
दिनांक 4 जून 2017 तक ट्रस्ट का स्थायी कोष....... के आस-पास है। 
संस्थान को सम्पूर्ण आर्थिक मदद समस्त रबारी, राईका, देवासी समाज से प्राप्त होती है। 
समाज सेवकों की कठिन मेहनत, सच्ची लगन तथा समाज के सहयोग से आज तीन मंजिला भव्य सुशोभित भवन का निर्माण हो सका। धर्मशाला हरिद्वार रेलवे स्टेशन से महज 500 मीटर दुरी पर और रोड़वेज बस स्टेंड से 1 किलोमीटर दुरी पर निर्मला छावनी में स्थित है। धर्मशाला में 500 से 700 यात्रियों के एक साथ ठहरने की सुविधा है। यात्रियों की गिनती के लिए रजिस्टर रखा है जिसमे उनके नाम व पता दर्ज किये जाते है। धर्मशाला में 1997 से निरन्तर ठहरने के साथ भोजन व चाय-पानी की व्यवस्था निःशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही है। बाकि जो यात्री ठहरते है वो अपनी इच्छा अनुसार रसीद कटवाकर दानस्वरूप दानराशि भेट कर सकता है। पांच हजार से लेकर ज्यादा दानराशि भेंट करने वालों के नाम धर्मशाला के बोर्ड पर अंकित है।जिसमें प्रतिवर्ष लगभग 50 से 70 हजार समाज बंधू ठहरते है तथा धर्मशाला की सेवाओं का लाभ उठाते है। पदाधिकारियों के संविधान के अनुसार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होते है। प्रतिवर्ष गंगा-दशहरा पर संस्थान द्वारा वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया जाता है, जिसमें सम्पूर्ण भारतवर्ष के रबारी समाज बंधू, सामाजिक कार्यकर्ता एवं संस्थान के पदाधिकारी भाग लेते है। इस वार्षिक सम्मेलन में प्रतिभाशाली विद्यार्थियों एवं समाज का नाम रोशन करने वाले समाज बंधुओ को संस्थान द्वारा पुरस्कार स्वरूप सम्मानित किया जाता है, आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी विद्यार्थियों को गुणवत्ता के आधार पर छात्रवृति प्रदान की जाती है। इसके अलावा समाज के सांस्कृतिक, शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनेतिक एवं नैतिक तथ्यों पर विचार-विमर्श कर समाज के उत्थान हेतु कार्य किये जाते है।

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